ओजोन
ओसोन ऑक्सीजन का अपररूप है. यह इतनी क्रियाशील होतो है कि समुद्र तल की ऊँचाई पर यह लबे समय तक वातावरण में नहीं रहती। लगभग 20 km ऊँचाई पर यह सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में वायुमडलीय ऑक्सीजन से बनती है। यह ओजोन परत भू-पृष्ठ को पराबैंगनी विकिरणों (UV) की अधिक मास से बचाती है।
विरचन
अऑक्सीजन की एक मंद शुष्क धारा निरव वैद्युत विसर्जन से गुजरे जाने पर तीन में परिवर्तित (10%) हो जाती है।
30,20,
ΔΗ (298 Κ) = +142 kJ mot
चूँकि अऑक्सीजन से ओजोन का विरचन एक उष्माशोषी प्रक्रम है. अतः इसके विरचन में निरव वैद्युत विसर्जन का उपयोग आवश्यक है ताकि इसका विघटन न हो।
यदि ओजोन की 10% से अधिक सांद्रता की आवश्यकता हो तो ओतोनित्रों की बैटरी का उपयोग किया जा सकता है तथा शुद्ध ओजोन (385K क्वथनांक) को एक द्रव ऑक्सीजन से घिरे पात्र में संघनित किया जा सकता है।
गुण
शुद्ध ओजोन एक हल्की पीत-नीली गैस, गहरा नीला द्रव तथा बैंगनी-काला ठोस होती है। आंतोन की अभिलक्षणिक गंध होती है और थोड़ी मात्रा में यह हानिकारक नहीं होती। परंतु यदि सांद्रता 100 भाग प्रति मिलियन (100 ppm) से अधिक बढ़ जाए तो श्वास लेने में असुविधा होती है जिससे सिरदर्द व मितली उत्पन्न होती है।
ओजोन उष्मागतिकीय रूप से ऑक्सीजन की तुलना में अस्थायी है; क्योंकि इसके में विघटन से उष्मा मुक्त (AH ऋणात्मक) होती है और एन्ट्रॉपी (AS धनात्मक) में वृद्धि होती है। दोनों प्रभाव एक-दूसरे को प्रबलित करते हैं जो इसके ऑक्सीजन में परिवर्तन के लिए गिब्त ऊर्जा (AG) परिवर्तन का अधिक ऋणात्मक मान देते हैं। इसलिए यह वास्तव में आश्चर्यजनक नहीं है कि ओतोन की उच्च सांद्रता भयंकर विस्फोटक हो सकती है।
यह बहुत आसानी से नवजात ऑक्सीजन मुक्त करने के कारण (0,0,+0) • प्रबल ऑक्सीकारक होती है। उदाहरण के लिए यह लेड सल्फाइड को लेड सल्फेट में और आयोडाइड आयनों की आयोडीन में ऑक्सीकृत करती है।
PbS(s) +40(g) →PbSO₄) +402(g)
21 (aq) + H2O(l) +O3(g) 20H (aq) + 12(s) + O2(g)
जब ओजोन , बोरेट बफर (उभय प्रतिरोधी) (pH 9.2) से उभय प्रतिरोधित आयोडाइड विलयन के आधिक्य से अभिक्रिया करती है तो आयोडीन मुक्त होती है विका यामक सोडियम थायोसलफेट विलयन के साथ अनुमापन किया जा सकता है। यह O2 गैस के आकलन की मात्रात्मक विधि है । प्रयोग दशति हैं कि लाइट्रोजन के ऑक्साइड (विशेष रूप से नदट्रोजन मोनोक्साइ ओजोन के साथ अत्यधिक तीव्रता से संयुक्त होते हैं। अतः यह सम्भव है कि सुपरसोनिक जेट विमानों के निकाल तंत्र में उत्सर्जित नाइट्रोजन ऑक्साइड ऊपरी वायुमंडल में ओजोन प
की सांद्रता में मद गति से क्षरण कर रही हो।
7.5()
संरचनाएँ
7.12
उपयोज
7.15 सल्फर
डाइऑक्स
NO(g) O(g) →NO, (g)-0, (g)
इस ओतोन परत को दूसरा खतरा संभवतया फ्रेऑनों के उपयोग से है जिनका उपयोग ऐरोसोल स्प्रे तथा प्रशीतकों के रूप में किया जाता है।
ओतांन अणु में दो ऑक्सीजन-ऑक्सीजन आबंध लंबाइयाँ समान हैं। (128 pm) जैसा कि अपेक्षित है अणु कोणीय है जिसमें बंधक कोण लगभग 117° है। यह निम्नलिखित दो प्रमुख रूपों का अनुनादी संकर है-
(2)
यह एक (जर्मनाशी) कोटाणु विसंक्रारी तथा जल को रोगाणुरहित (निर्जर्म) करने में उपयोग किया जाता है। इसका तेलों, हाथीदांत, आटे तथा स्टार्च आदि को विरजित करने में भी उपयोग किया जाता है। पोटैशियम परमैगनेट के उत्पादन में यह एक ऑक्सीकारक के रूप में कार्य करती है।